हमारे मूल अधिकार क्या है
ये न्यायोचित हैं। इनके उल्लंघन होने पर, मूल अधिकारों को सुनिश्चित कराने के लिए ये व्यक्ति को न्यायालय जाने की अनुमति देते हैं.
इन्हें उच्चतम न्यायालय द्वारा गारंटी एवं सुरक्षा प्रदान की जाती है. हालाँकि पीड़ित व्यक्ति सीधे उच्चतम न्यायालय जा सकता है. राष्ट्रीय आपातकाल की सक्रियता के दौरान अनुच्छेद 20 और 21 में प्रत्याभूत अधिकारों को छोड़कर इन्हें निलंबित किया जा सकता है. अनुच्छेद 19 में उल्लिखित 6 मूल अधिकारों को केवल तब स्थगित किया जा सकता है, जब युद्ध या विदेशी आक्रमण के आधार पर राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की गई हो.
मूलतः संविधान में सात मूल अधिकार दिए गए थे:
- समानता का अधिकार [अनुच्छेद 14-18]
- स्वतंत्रता का अधिकार [अनुच्छेद 19-22]
- शोषण के विरुद्ध अधिकार [अनुच्छेद 23-24].
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार [अनुच्छेद 25-28]
- संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार [अनुच्छेद 29-30]
- संपत्ति का अधिकार [अनुच्छेद 31]
- सांविधानिक उपचारों का अधिकार [अनुच्छेद 32]
हालाँकि, ‘संपत्ति का अधिकार’ 44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा मूल अधिकारों से हटा दिया गया. इसे संविधान में अनुच्छेद 300-क के तहत एक कानूनी अधिकार बना दिया गया. इसलिए अब केवल छः मूल अधिकार हैं.
- समानता का अधिकार [अनुच्छेद 14-18]
- अनुच्छेद 14:- विधि के समक्ष समानताएवं विधियों का समान संरक्षण
- अनुच्छेद 15:- धर्म, मूल, वंश, लिंग और जन्म के भेदभाव का प्रतिषेध
- अनुच्छेद 16:- लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता
- अनुच्छेद 17 :- छुआछूत का अंत
- अनुच्छेद 18 :- सेना या विद्या संबंधी सम्मान के सिवाय सभी उपाधियों पर रोक
- स्वतंत्रता का अधिकार [अनुच्छेद 19-22]
- अनुच्छेद 19 :- यह भारतीय नागरिकों को निम्न छः अधिकार देता है :-
- वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
- सम्मलेन की स्वतंत्रता
- संगम एवं संघ बनाने की स्वतंत्रता
- सर्वत्रसंचरण की स्वतंत्रता
- निवास की स्वतंत्रता
- व्यापार, व्यवसाय और रोजगार की स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 20 :- अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण
- शोषण के विरुद्ध अधिकार [अनुच्छेद 23-24].
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
- संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार
- अनुच्छेद 21: प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण
- अनुच्छेद 22: कुछ दशाओं में गिरफ़्तारी और विरोध से संरक्षण
- शोषण के विरुद्ध अधिकार [अनुच्छेद 23-24]
- अनुच्छेद 23 :- मानव के दुर्व्यापार और बलात श्रम का प्रतिषेध
- अनुच्छेद 24 :- कारखानों आदि में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के नियोजन का प्रतिषेध
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार [अनुच्छेद 25-28]
- अनुच्छेद 25 :- अंतःकरण की और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 26 :- धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतत्रता
- अनुच्छेद27 :- किसी विशिष्ट धर्म केविकास के लिए करों से छूट की स्वतत्रता
- अनुच्छेद28 :-कुछशिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या उपासना में उपस्थित होने के बारे में स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 29 :- अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण
- अनुच्छेद 30 :- शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार
- संपत्ति का अधिकार [अनुच्छेद 31]
- अनुच्छेद 31 :- 44वें संशोधन द्वारा निरसित
- सांविधानिक उपचारों का अधिकार [अनुच्छेद 32]
- अनुच्छेद 32 :- इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए अधिकार